भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ,BNSS, 2023 आपराधिक कानून

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आपराधिक कानून

BNSS 2023  

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ,2023


 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ,2023   (BNSS)   पुराने कानून दण्ड प्रक्रिया संहिता ,1973 के स्थान पर लागू होने बाला कानून हे `इस विधेयक को 11 अगस्त  2023 को माननीय गृह मंत्री अमितशाह जी ने लोकसभा में पेश किया था 12 दिसम्बर  2023 [BNSS]   वापस ले लिया गया  और  12 दिसम्बर  2023 को  [ BNSS ]  को एक  नए रूप में पेस किया गया जिसे  20 दिसंबर  2023 को लोकसभा से तथा   21 दिसम्बर   2023 को राज्य सभा में पारित किया गया  25 दिसंबर, 2023 को, राष्ट्रपति ने तीन नए दण्ड विधेयकों को  अनुमति  दे दी .



BNSS 2023 - 1 जूलाई से लागू होगा

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में मुख्य  परिवर्तन क्या हैं

BNSS CRPC के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखता है। कुछ प्रमुख परिवर्तनों में शामिल हैं::  CrPC के प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी अभियुक्त ने हिरासत में कारावास की अधिकतम अवधि का आधा समय बिता लिया है, तो उसे व्यक्तिगत बंधपत्र पर बरी किया जाना चाहिये। यह मृत्यु से दंडनीय अपराधों पर लागू नहीं होता है।BNSS में आगे कहा गया है कि यह प्रावधान आजीवन कारावास द्वारा दंडनीय अपराधों पर भी लागू नहीं होगा, और ऐसे व्यक्ति जिनके विरुद्ध कार्यवाही एक से अधिक अपराधों में लंबित है।


चिकित्सीय परीक्षण:

 BNSS प्रदान करता है कि कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ मामलों में अभियुक्त के चिकित्सीय परीक्षण के लिये अनुरोध कर सकता है, जिसमें बलात्कार के मामलों भी शामिल हैं।जबकि CRPC में कम-से-कम एक उप-निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी के अनुरोध पर एक पंजीकृत चिकित्सीय व्यवसायी द्वारा ऐसे परीक्षण की अनुमति दी जाती थी।


फोरेंसिक जाँच

BNSS कम-से-कम सात वर्ष के कारावास के साथ दंडनीय अपराधों के लिये फोरेंसिक जाँच को अनिवार्य करता है ऐसे मामलों में, फोरेंसिक विशेषज्ञ फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने और मोबाइल फोन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने के लिये अपराध दृश्यों का दौरा करेंगे। यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है, तो वह किसी अन्य राज्य में इस तरह की सुविधा का उपयोग करेगा


हस्ताक्षर और अँगुली की छाप  एक मजिस्ट्रेट को किसी भी व्यक्ति को हस्ताक्षर या लिखावट का नमूना प्रदान करने का आदेश देने का अधिकार देता  BNSS ने उँगली के छापों और आवाज़ के नमूने शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया है। यह इन नमूनों को एक ऐसे व्यक्ति से एकत्र करने की अनुमति देता है जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।


प्रक्रियाओं की समय सीमा

BNSS विभिन्न प्रक्रियाओं हेतु समयसीमा निर्धारित करता है। उदाहरण के लिये, इसे चिकित्सा व्यवसायी की आवश्यकता होती है जो सात दिनों के भीतर जाँच अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये बलात्कार पीड़ितों की जाँच करते हैं।अन्य निर्दिष्ट समयरेखाओं में दलीलों के पूरा होने के 30 दिनों के भीतर निर्णय देना (45 दिनों तक विस्तार योग्य), 90 दिनों के भीतर इससे संबंधित जाँच की प्रगति को सूचित करना, और इस तरह के आरोपों पर पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर एक   सत्र न्यायालय द्वारा आरोपों का निर्धारण करना शामिल है। ।CrPC राज्य सरकारों को किसी भी शहर या नगर को एक महानगरीय क्षेत्र के रूप में एक मिलियन से अधिक की जनसंख्या के साथ सूचित करने का अधिकार देता है। ऐसे क्षेत्रों में महानगरीय मजिस्ट्रेट होते हैं।BNSS महानगरीय क्षेत्रों और महानगरीय मजिस्ट्रेटों के वर्गीकरण को हटा देता है

हथकड़ी का उपयोग के नये नियम

BNSS विभिन्न मामलों में हथकड़ी के उपयोग की अनुमति देता है, जिसमें संगठित अपराध भी शामिल है, जो उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित निर्देशों का विरोध करता है।


पुलिस हिरासत के नियम परिबर्तन

BNSS 15 दिनों तक पुलिस हिरासत की अनुमति देता है, जिसे न्यायिक हिरासत के 60 या 90 दिनों की अवधि के शुरुआती 40 या 60 दिनों के दौरान भागों में अधिकृत किया जा सकता है।अगर पुलिस ने 15 दिन की हिरासत अवधि समाप्त नहीं की है तो इस प्रावधान द्वारा पूरी अवधि के लिये ज़मानत से इनकार किया जा सकता है


ज़मानत:CrPC के तहत अभियुक्त को ज़मानत देने का प्रावधान है जिसे अपराध के लिये अधिकतम कारावास की आधी अवधि के लिये हिरासत में रखा गया है।BNSS कई आरोपों का सामना करने वाले किसी व्यक्ति के लिये इस सुविधा से इनकार करता है। कई मामलों में कई वर्गों के तहत आरोप शामिल होते हैं, यह इस तरह की ज़मानत को सीमित कर सकता है।यह एक मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाते हुए, अधिक लोगों के अनुकूल भाषा के साथ पुरानी शब्दावली को प्रतिस्थापित करता है।


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संसद में तीनों विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा था कि इन विधेयकों का मकसद पिछले कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों का मकसद अलग-अलग अपराधों और उनकी सजा को परिभाषा देकर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव लाना है

तीनो आपराधिक कानून 1 जुलाई 2024 लागू होंगे

 अनु क


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