ICAI ka full form
INSTITUTE OF CHARTERED ACCOUNTANTS OF INDIA
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान
ICAI भारत का राष्ट्रीय लेखांकन निकाय है जो संसद के एक अधिनियम द्बारा स्थापित संबिधिक निकाय हें देश में चार्टर्ड अक्कौन्टेन्सी के पेशे को विनियमित करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम 1949 लाया गय |
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (The Institute of Chartered Accountants of India- ICAI) भारत का राष्ट्रीय लेखांकन निकाय है। इसकी स्थापना अकाउंटेंसी पेशे को विनियमित करने के लिये की गई थी। यह भारत में वित्तीय लेखा-परीक्षा एवं अकाउंटेंसी पेशे के लाइसेंस को विनियमित करने वाला निकाय है। यह भारत में लेखांकन मानकों पर राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NACAS) के माध्यम से कंपनियों के लेखांकन मानकों की अनुशंसा करता है।
ICAI ने तकनिकी ,नैतिक क्षेत्रो में उच्चतम मानको को बनाये रखने और कड़ी परीक्षा और शिक्षा मानको को बनए रखने के लिए न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर एक प्रमुख लेखा निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त की है |
ICAI का प्रारम्भ
भारत की स्वतंत्रता से पहले पंजीकृत कंपनियों को प्रबंधित करने के लिये कंपनी अधिनियम 1913 पारित किया गया था।इस अधिनियम द्वारा रिकार्डों को ऑडिट करने के लिये औपचारिक लेखा-परीक्षक की नियुक्ति हेतु योग्यता निर्धारित की गई थी। लेखा-परीक्षक के तौर पर कार्य करने के लिये एक व्यक्ति को स्थानीय सरकार से एक प्रबंधित प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता था। वर्ष 1932 में एक बोर्ड की स्थापना की गई थी जिसे भारतीय लेखा बोर्ड के नाम से जाना जाता था। यह बोर्ड भारतीय परिषद में गवर्नर जनरल को लेखाविधि परीक्षको के साथ-साथ आवश्यक ब्याहार संबंधी बातो पर सलाह देता था।
वर्ष 1947 में एक समिति को नियुक्ति किया गया जिसकी सिफारिश के आधार पर पेशे को विनियमित करने के लिये लेखाकारों का एक अलग संघ का गठन किया गया । वर्ष 1949 में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम की धारा 3 के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की स्थापना एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई।यह भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है। ICAI के मुद्दों को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम 1949 एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स विनियमन 1988 के प्रावधानों के तहत प्रबंधित किया जाता है |
ICAI अंतर्राष्ट्रीय लेखाकार महासंघ (International Federation of Accountants- IFAC,1977), दक्षिण एशियाई लेखाकार महासंघ (South Asian Federation of Accountants- SAFA, 1984) और एशियाई एवं प्रशांत लेखाकारो के परिसंघ (Confederation of Asian and Pacific Accountants- CAPA, 1957) के सदस्यों में से एक है।
ICAI के सदस्यों का निर्वाचन \ सदस्यता:
ICAI परिषद के सदस्यों का निर्वाचन, संस्था के सदस्यों के द्वारा एकल हस्तांतरणीय मतदान विधि के द्वारा किया जाता है।परिषद अपने 4 स्थायी समितियों एवं 37 अस्थायी समितियों के माध्यम से कार्य करती है।ICAI संस्थान के सदस्यों को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के रूप में जाना जाता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अर्थात् संस्थान का सदस्य बनने के लिये निर्धारित परीक्षाओं, तीन साल की प्रेक्टिकल ट्रेंनिग और इस अधिनियम एवं विनियमों के तहत अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने की ज़रूरत होती है। ICAI परिषद में 40 सदस्य होते हैं, जिनमें से 32 चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के द्वारा चुने जाते हैं और शेष 8 केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित किये हैं
ICAI के कार्य
ICAI संस्थान के कार्यों का कार्यान्वयन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम 1949 के तहत गठित एक परिषद द्वारा किया जाता है।चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को कंपनी अधिनियम 2013 एवं आयकर अधिनियम 1961 के तहत वित्तीय विवरण के ऑडिट हेतु सांविधिक एकाधिकार प्राप्त है।
विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में वित्तीय रिपोर्टिंग, लेखा परीक्षा, कॉर्पोरेट फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, फाइनेंस मॉडलिंग, इक्विटी रिसर्च, कोष प्रबंधन, क्रेडिट विश्लेषण, पूंजी बाज़ार, मध्यस्थता, जोखिम प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, रणनीतिक/प्रबंधन परामर्श, प्रबंधन अकाउंटिंग, इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑडिट, निगम कानून, प्रत्यक्ष कर,अप्रत्यक्ष कर एवं व्यापार का मूल्यांकन आदि शामिल हैं।
लेखा अनुसंधान फाउंडेशन (ARF): ICAI लेखा अनुसंधान फाउंडेशन ने विभिन्न बुनियादी एवं प्रायोगिक अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है। यह अनुसंधानकर्त्ताओं/शोध-छात्रों को उक्त क्षेत्रों में समकालीन राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की बुनियादी अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा करने के लिये वित्तीय सहयोग प्रदान करता है।
ICAI आर्थिक प्रासंगिकता के मामलों पर एवं उसी प्रकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे- कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, वाणिज्य एवं औद्योगिक मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय आदि को तकनीकी सलाह एवं आवश्यक जानकारी प्रदान करता है।
ICAI विभिन्न निकायों जैसे- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय रिज़र्व बैंक [RBI] , भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड, जीएसटी परिषद [GST], बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण आदि को तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है। इसने जीएसटी क्रियान्वयन के प्रत्येक स्तर पर चाहे वह संविधान संशोधन विधेयक हो,[GSTकानून], जीएसटी नियम प्रारूप या जीएसटी का क्रियान्वयन, सभी के संबंध में विस्तृत सुझाव दिये हैं।
Indian Institute of Insolvency Professionals of ICAI संपूर्ण रुप से ICAI के स्वामित्व वाली एक सहायक कंपनी है। इसकी स्थापना Insolvency and Bankruptcy code 2016 के अनुसार, सदस्यों के रूप में Insolvency professional को नामाँकित एवं विनियमित करने के साथ ही विनियमों एवं नियमों को समझने के लिये की गई थी।
गुणवत्ता पुनरीक्षा मंडल (Quality Review Board):
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम 1949 की धारा 28A केंद्र सरकार को एक अध्यक्ष एवं 10 अन्य सदस्यों की एक गुणवत्ता पुनरीक्षा बोर्ड के गठन का अधिकार देती है क्योंकि इस बोर्ड के गठन की प्रक्रिया को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (संशोधन) अधिनियम 2006 द्वारा सम्मिलित किया गया था।
गुणवत्ता पुनरीक्षा बोर्ड, सेवा की गुणवत्ता के संबंध में ICAI परिषद को सिफारिश करने के साथ ही समीक्षा का अधिकार देता है जिसे संस्थान के सदस्य एवं ऑडिट सर्विसेज़ ने मिलकर तैयार कराया है।
अनुशासनात्मक तंत्र:
अनुशासनात्मक निदेशालय, अनुशासन बोर्ड एवं अनुशासनात्मक समिति तीनों मिलकर ICAI की अनुशासनात्मक प्रक्रिया के फाउंडेशन का निर्माण करते हैं। ये संस्थाएँ अर्द्ध-न्यायिक हैं एवं इन संस्थाओं के पास दीवानी न्यायालय के समान समन जारी करने तथा शपथ पत्र पर दस्तावेज़ों के सत्यापन जैसी पर्याप्त शक्तियाँ हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में करियर के कई विकल्प /CAI FULL FORM
ऑडिटिंग और लेखांकन: ऑडिटर व्यवसायों और संगठनों की वित्तीय समीक्षा करते हैं। अकाउंटेंट किसी कंपनी के वित्तीय लेनदेन पर नज़र रखते हैं और वित्तीय रिपोर्ट तैयार करते हैं
1.कराधान:[TEX] कर लेखाकार कर रिटर्न तैयार करते हैं और व्यवसायों को उनकी गतिविधियों के कर निहितार्थ पर सलाह देते हैं
2.परामर्श सेवाएँ: कई चार्टर्ड अकाउंटेंट सलाहकार के रूप में काम करते हैं, ग्राहकों को वित्तीय और व्यावसायिक सलाह प्रदान करते हैं
3.कॉर्पोरेट वित्त: कॉर्पोरेट वित्त प्रबंधक कंपनी के वित्तीय विवरणों के साथ काम करते हैं और शेयरधारकों के लिए रिपोर्ट तैयार करते हैं। वे विलय और अधिग्रहण पर भी काम करते हैं और कंपनी को पूंजी जुटाने में मदद करते हैंICAI FULL FORM
4.परिसंपत्ति प्रबंधन: परिसंपत्ति प्रबंधक किसी कंपनी के निवेश पोर्टफोलियो की देखरेख करते हैं
5.जोखिम प्रबंधन: जोखिम प्रबंधक किसी व्यवसाय के सामने आने वाले जोखिमों की पहचान और मूल्यांकन करते हैं। वे व्यवसाय पर इन जोखिमों के प्रभाव को कम करने के लिए काम करते हैं
6.सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधन: सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक किसी कंपनी की सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे आईटी परियोजनाओं की योजना बनाते हैं.